शिमला कसौली
कभी ब्रिटिश राज की ग्रीष्मकालीन राजधानी रहा एक प्रसिद्ध
हॉलिडे रिज़ार्ट शिमला, अब हिमाचल प्रदेश राज्य की राजधानी है। बलूत, चीड़
(देवदार) और रोडोडेन्ड्रेन के वृक्षों से आच्छादित शिमला समुद्रतल से 2,130 मीटर की
ऊंचाई पर स्थित है, जहां आपको बारहमास ठण्डी हवा और मनमोहक प्राकृतिक
दृश्य देखने को मिलेंगे। अन्य पर्वतीय पर्यटन स्थलों की भांति यह शहर भी
ऊंची-नीची पहाड़ियों पर बसा है और यहां छोटे-बड़े घुमावदार रास्ते हैं। अब यह
एक बड़े संपन्न नगर के रूप में विकसित हो रहा है और महानगर बनने
की होड़ में है। यह अपनी इमारतों के लिए मशहूर है, जो ब्रिटिश राज की ट्यूडर
और न्यूगॉथिक स्थापत्यकला शैली में निर्मित की गई हैं। ब्रिटिश सरकार द्वारा
मार्च के अंत में अथवा अप्रैल माह की शुरुआत में शीतकालीन राजधानी को शिमला
में स्थानांतरित करके अक्तूबर तक ग्रीष्मकालीन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता
था। जब 1903 में कालका-शिमला रेलवे लाइन का कार्य पूरा हुआ, तभी से यह स्थान
गर्मी से निजात पाने के लिए लोकप्रिय स्थल बन गया था।
शिमला में गोल्फ जैसे खेल की सुविधा ब्रिटिशों की देन
है। शिमला से 22 कि.मी. दूर नालडेहरा, भारत के प्रारंभिक गोल्फ कोर्सों में
से एक है। इंतकाली और मशोबरा की पहाड़ियों में आप एक अन्य खेल
पैराग्लाइडिंग का आनंद भी ले सकते हैं। शिमला में ट्रेकिंग बहुत लोकप्रिय
है और यहां अनेक ट्रेक ट्रायल होते रहते हैं। राफ्टिंग के लिए सतलुज नदी का
बहाव बहुत आदर्श है। कुफरी और चैल आइस-स्केटिंग के लिए अच्छे स्थान हैं।
प्रकृति के हरे-भरे नज़ारों के बीच बाइकिंग सपने के सच होने जैसा है, और
हाल ही में शिमला में साइकलिंग को एक एडवेंचर स्पोर्ट्स के रूप में विकसित
किया गया है। आप शिमला से 16 कि.मी. दूर कुफरी में स्कीइंग का मज़ा
ले सकते हैं। शिमला से 64 कि.मी. दूर नारकंडा में भी स्कीइंग की
सुविधाएं हैं।
क्या खाएं : शिमला में अधिकांश रेस्तरां माल रोड के
साथ-साथ हैं। वे महंगे हैं और सामान्यतः यहां विविध प्रकार के व्यंजन मिलते
हैं। यहां का भोजन विशिष्ट हिमाचली नहीं होता। अपितु, इनका रुझान पंजाबी
खानों की ओर है जिनमें तेल और मसालों का खुलकर प्रयोग होता है। माल पर ही
कई बेकरियां है जो फास्ट फूड बेचती हैं, और यहां आइसक्रीम पार्लर भी हैं।
क्या खरीदें : शिमला में अनेक दुकानें हैं जहां
विभिन्न सुविनियर बेचे जाते हैं। रिज के सामने लक्कड़ बाज़ार अपने लकड़ी के
सामान और सुविनियर के लिए प्रसिद्ध है। जबकि लोअर बाज़ार, जो मुख्य बाज़ार
है, जहां सर्दियों के रंगीन और ऊनी कपड़ों की व्यापक रेंज है। इन बाज़ारों
से आप हाथ की चित्रकारी से सजे मिट्टी के बर्तनों और लोकप्रिय हिमाचली
टोपी तथा लकड़ी की वाकिंग-स्टिक खरीदना नहीं भूलें।
आसपास के क्षेत्रों में कैसे जाएं : आप प्रातः 7 बजे
से रात्रि 9 बजे के बीच उपलब्ध स्थानीय बस सेवा का उपयोग कर सकते हैं।
स्थानीय यात्रा और साइट-सीइंग के लिए टैक्सियां भी उपलब्ध हैं। हिमाचल
प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा टूरिस्ट बसें भी चलाई जाती हैं जिनकी
बुकिंग माल पर स्थित पर्यटक सूचना केंद्र से कराई जा सकती है। घुमावदार
रास्तों से ऊंची चोटियों तक पैदल चलकर जाना भी एक अच्छा विकल्प है।
चैल : चैल, शिमला के निकट बसा एक छोटा एकांतवास वाला
ग्राम-समूह है, जिसके चारों ओर घने वन हैं, जहां से हिमालय की श्रेणियों पर
आच्छादित हिम को देखा जा सकता है। इसके पार्श्व में भव्य शिवालिक की
चोटियों के दर्शन होते हैं, सुंदर बागान तथा सिलवान देवदार की घाटियां देखा
जा सकती हैं। चैल का जादू निश्चय ही आप पर छा जाएगा। साफ आसमान में इस घाटी
का मनोरम दृश्य आपको देखने को मिलेगा। पहाड़ियों के मध्य अपने वेग से बहती
सतलुज नदी के दोनों ओर स्थित कसौली और शिमला (45 कि.मी.) से इसकी दूरी
बराबर है। रात्रि में और भी अधिक मनमोहक दृश्य देखने को मिलेगा और दूर
क्षितिजों पर दिखती रोशनियां एक मंत्रमुग्ध करने वाला दृश्य प्रस्तुत करती
हैं। चैल एक अनोखा और शांत क्षेत्र है, जहां वन्य जीव-जंतुओं से परिपूर्ण
पहाड़ियां देखने को मिलेंगी, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए सुखद अनुभव
प्रदान करती हैं। चैल और बृहत्तर देवदार के वृक्ष एवं भरे-पूरे चीड़ के
वृक्षों के मध्य एक अंतरंग संबंध है। यहां से शिमला शहर और चौड़ाधार, जो
अपनी औषिधिय झाड़ियों के लिए प्रसिद्ध है, की पर्वतश्रेणियों की आभा
दृष्टिगोचर होती है। चैल पैलेस स्वयं में एक विशिष्ट ग्राम-समूह की हैसियत
रखता है। अब पैलेस को हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) द्वारा होटल
के रूप में संचालित किया जा रहा है। चैल वाइल्डलाइफ सेंचुरी, देवदार के
पेड़ों से घिरी है, जहां निर्बाध रूप से विचरण करते पक्षी तथा स्कॉटिश रैड
डियर देखे जा सकते हैं। चैल का सबसे बड़ा गौरव एक पहाड़ी के ऊपर बना
क्रिकेट का मैदान है, जिसे विश्व का सबसे ऊंचाई वाला स्टेडियम माना जाता
है। अब यह भारतीय सेना की देखरेख में है।
अपने साम्राज्य के बेहतर दिनों में ब्रिटिशों द्वारा विकसित एक छोटा शहर, कसौली अभी भी अपना प्राचीन आकर्षण समेटे हुए है। गैर-व्यस्त सीजन (नवंबर-फरवरी) में, भीड़ में टकराए बिना कई किलोमीटर तक पैदल जाया जा सकता है। एक कैण्टोनमेंट शहर होने के कारण, कसौली में सीमित प्रवेश की अनुमति है। विदेशी नागरिकों को अपना पासपोर्ट साथ में रखना चाहिए। कालका-शिमला मार्ग पर एक ब्रांच मार्ग से कसौली पहुंचा जा सकता है। यहां सर्वाधिक चहल-पहल वाले स्थान अपर और लोअर माल हैं, जहां की दुकानों पर रोज़मर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं औक पर्यटकों के लिए सुविनियर बिकते हैं। लोअर माल में अनेक रेस्तरां है, जहां स्थानीय फास्ट फूड मिलता है। कसौली में कई बाहरी दर्शनीय रास्ते हैं, जहां प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव लिया जा सकता है। बलूत, चीड़ (देवदार) और रोडोडेन्ड्रेन के वृक्षों और घोड़ों के लिए बनी सुंरगों से संपूर्ण क्षेत्र आच्छादित है। इन सड़कों पर यातायात की मनाही है। अपर माल रोड से हटकर भी कई बेहतर रास्ते हैं, जो बीएसएनएल क्वार्टरों के नज़दीक से निकलकर भारतीय सेना के परिसरों तक गए हैं। एक ऐसा रास्ता हनुमान प्वाइंट तक गया है। लोअर माल पर भी ऐसे अन्य रास्ते हैं जो आपको घड़खल की ओर ले जाएंगे। ये रास्ते सुरक्षित और सरल हैं। मंकी प्वाइंट की ओर जाने वाला मुख्य रास्ता एयर फोर्य गार्ड स्टेशन से होकर लोअर माल तक जाता है, जिसके लिए व्यक्ति को पहले पंजीकरण कराना आवश्यक है। यहां सायं 5 बजे प्रवेश बंद हो जाता है। कहावत है कि भगवान हनुमान संजीवनी बूटी लेने के लिए जाते समय, यहां रुके थे। आज उसी स्थान पर 300 मीटर ऊंची पहाड़ी पर हनुमान मंदिर है। कसौली पास्चर इंस्टीट्यूट के लिए भी प्रसिद्ध है, जहां एंटी-रैबिज़ टीके तैयार किए जाते हैं। कसौली स्थित सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRI) इम्यूनाइजेशन और वाइरोलॉजिकल रिसर्च के क्षेत्र में काम करने के लिए विख्यात है। यहां की मशहूर स्थापत्यकला के लिए शहर में स्थित क्राइस्ट चर्च (बस अड्डे के निकट) और लॉरेंस स्कूल, सनावर (6 कि.मी.) का नाम लिया जा सकता है।