हौज खास
इसकी शुरुआत 1988 में बीना रमानी के बुटिक की स्थापना से
हुई थी। शीघ्र ही हौज
खास "दि नेशनल केपिटल ऑफ एथनिक चिक" के रूप में विख्यात हो
गया। तंग गलियों में ऊपर-नीचे बने पुराने घरों को बुटिक और दुकानों में बदलकर
वहां हस्तशिल्प, कलाकृतियां, पुराने कारपेट और डिज़ाइनर कपड़े
बेचे जाने लगे। 'ए टच ऑफ गोल्ड'
एक छोटी प्राचीन दुकान है जहां हमारी दादी के ज़माने की साड़ियां,
सलवार-कमीज़ें और लहंगे मिलते हैं। 'दोज़ख'
में ईशा और नितिन कार्तिकेय के बनाए कपड़े प्राचीन सभ्यता की याद दिलाते है,
जो दिखने में सामान्य रूपरेखा वाले लगते हैं किन्तु विचारात्मक रूप से देखें
तो उनमें मूलभूत अंतर होता है।
अंकुर बत्रा का ब्रेनचाइल्ड 'इकरु',
हाई क्वालिटी के कपड़े तैयार करता है, जिनमें प्राचीन और आधुनिक डिजाइनों
का संगम है। 'पोर्टरेट्स'
जो मुख्यत ऑर्डर पर काम करता है, अभी भी सेमी-फॉर्मल वियर के लिए एक
विश्वसनीय नाम है। यदि आप चिकनकारी क्रिएशन की तलाश में हैं, तो
प्रतीक्षा आपसे लिए एकदम सही गंतव्य है। कनिका रूंगटा का
'ज़ोया' चांदी और
फैशन ज्वैलरी की एक शानदार कलेक्शन प्रस्तुत करता है।